मेरी कब्र पर आकर वो आँसू बहा गए
मोहब्बत की आखिरी रस्म निभा गए
ताजिंदगी उनके इकरार को तरसे हम
नगमा इश्क़ का मौत पर गुनगुना गए
भीगी नहीं थी पलके उनकी जनाज़े में
रोये कि धुल गया जख्म दवा लगा गए
बेवफ़ाई ही तो है रस्म इस दुनिया की
जला कर चिराग ऐसे वफा निभा गए
मेरी रूह को ना हो बेचैनी तनहाई की
कब्र के पत्थर पे अपना नाम खुदा गए
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