बादलों में ढूढें अधुरे ख्वाब
सजालें अरमान अपने से
तुम ढूंढ लोगे ताजमहल
बिखरते इन बादलो मे
और मेरी तलाश खत्म होगी
बिखरते बादलो में, जो
आभाष देंगें तिनको और रस्सी का
जिनसे मेरी झोंपडी फिर बनेगी
देखो अब इऩ्हें हवा न देना
बरसे तो बिखरेगा ताजमहल
मेरी झोपडी गर टपकी तो
कैसे ठापी जाएगी सूखी रोटियां