शुक्रवार, 19 अगस्त 2011

मेरा मौन


मुझे कुछ कहना है
थोडा नहीं बहुत कुछ कहना है
पर मेरा मौन ।
तुम्‍हारे स्‍नेह को ही तो मोन लिया ।
फिर भी मन के सागर में
शब्‍द उमंगें ले रहें हैं।
निशब्‍द होठ, मन की थाह लेने के प्रयास में
कभी फडकते कभी सिमटते।
जब तुम होते समक्ष ,
शब्‍द हदय में समरस हो जाते है।
मैं, मौन ही रहता पर
मेरे हदय की हर धडकन से
ध्‍वनित होता है
स्‍वर मेरे मौन का

3 टिप्‍पणियां:

  1. मुझे कुछ कहना है
    थोडा नहीं बहुत कुछ कहना है
    पर मेरा मौन ।
    तुम्‍हारे स्‍नेह को ही तो मोन लिया ।

    bahut sunder swar-lhari!

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  2. ध्वनित होता है
    स्वर मेरे मौन का.......
    वाह क्या बात है !

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  3. बहुत सुन्दर भाव ....सुन्दर प्रस्तुति.

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