मेरे शब्दों की स्याही अभी सूखी नहीं
होले से छुओ, मत दबाओं चीख निकल जाएगी
ये पत्थरों का शहर है धीरे धीरे से बोलो
...लौट कर आई आवाज तुम्हारी, तुम्हे डरा जाएगी
शहर की इस हंसी पर मत करना यकीं मेरे दोस्त
सड्क हादसे की मौत, गरीब के चेहरे चिपक जाएगी
किवाड् चौखटों से मिला कर रखो तो भी क्या
ये हवा है मोज में, चौखट ही उडा ले जाएगी
अपने गम की दास्ताने, दिल में ही महफूज रखो
ये तुम्हारी अपनी यादें है, रोज याद आएगी
roj yaad aayengi......shabdo ka adbhut prayog kar utkrisht rachna...wwaaah
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