शुक्रवार, 29 जुलाई 2011

मां

थके पांव, निढाल काया और खाली हाथ

घर में घुसते ही पिता की उम्मीखद भरी
आखें बोली ''आज भी कुछ नहीं कमाया''

...पत्नीु ने पेंट टांगते हुए टटोला

''शायद आज भी कुछ नहीं बचाया''

बच्चेब तो खाली हाथ देख समझ गये

पापा कुछ नही लाया

किनारे, पंगल पर बिमार मां पडी थी
आवाज में पूरी जान डालते हुए बोली '' बेटा कुछ खाया ''

यूं तो सब ही चिन्तााओ से बावस्ता है

पर मां की चाहत की गहराई ज्यासदा है

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