गुरुवार, 21 जुलाई 2011

जूता

जूता भी बदला जाता है जब वह फट जाता है काटने लगता है

उसके तले में हो जाता है सूराक

जूते की उम्र होती है एक दो तीन या पूरे साठ साल

इसके बाद जूते की कसावट वही हो

रंगत वही हो जो उनके रंग से साम्‍य रखती हो

जूते में अब पहले से अधिक लचक है

पंजे के साथ झूकने की, चलने से पहले चेतने की

दर्द से आह लेने की, दूसरे पास आते कदमों की थाह लेने की

तो क्‍यू बदले जूता, चाहे एक्‍पायरी डेट पुरी कर चुका हो

इसके तले में पैबंद लगा लेंगे, काम चला लेंगे

और बदले तो क्‍यूं, जाने आज के जमान की

हाईटेक सैण्डिलें , वो राहत दे सकेगी

जो इस बिना दांत के जूते ने दी है

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