जूता भी बदला जाता है जब वह फट जाता है काटने लगता है
उसके तले में हो जाता है सूराक
जूते की उम्र होती है एक दो तीन या पूरे साठ साल
इसके बाद जूते की कसावट वही हो
रंगत वही हो जो उनके रंग से साम्य रखती हो
जूते में अब पहले से अधिक लचक है
पंजे के साथ झूकने की, चलने से पहले चेतने की
दर्द से आह लेने की, दूसरे पास आते कदमों की थाह लेने की
तो क्यू बदले जूता, चाहे एक्पायरी डेट पुरी कर चुका हो
इसके तले में पैबंद लगा लेंगे, काम चला लेंगे
और बदले तो क्यूं, जाने आज के जमान की
हाईटेक सैण्डिलें , वो राहत दे सकेगी
जो इस बिना दांत के जूते ने दी है
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