गुरुवार, 21 जुलाई 2011

मौन

मुझे कुछ कहना है

थोडा नहीं बहुत कुछ कहना है

पर मेरा मौन ।
...
तुम्हाारे स्नेनह को ही तो मोन लिया ।

फिर भी मन के सागर में

शब्दभ उमंगें ले रहें हैं।

निशब्द होठ, मन की थाह लेने के प्रयास में

कभी फडकते कभी सिमटते।

जब तुम होते समक्ष ,

शब्दु हदय में समरस हो जाते है।

मैं, मौन ही रहता पर

मेरे हदय की हर धडकन से

ध्वेनित होता है

स्वेर मेरे मौन का

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