मुझे कुछ कहना है
थोडा नहीं बहुत कुछ कहना है
पर मेरा मौन ।
...
तुम्हाारे स्नेनह को ही तो मोन लिया ।
फिर भी मन के सागर में
शब्दभ उमंगें ले रहें हैं।
निशब्द होठ, मन की थाह लेने के प्रयास में
कभी फडकते कभी सिमटते।
जब तुम होते समक्ष ,
शब्दु हदय में समरस हो जाते है।
मैं, मौन ही रहता पर
मेरे हदय की हर धडकन से
ध्वेनित होता है
स्वेर मेरे मौन का
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