गुरुवार, 21 जुलाई 2011

सपने

एक गहरी उबासी मुह खोल कर पूरा
अलसाई हुइ आखों को बंद करना होले से
बालो में उंगलियां घुमाना छळे बनाना
सर को धीरे से तकीये पर रख देना
िफर नींद करना इंतजार बेसबरी से
कि आएंगें सपने िफर वही सताएंगें
जिन्हें जागती आखों ने भूलना चाहा

1 टिप्पणी:

  1. सच ही कहा है आपने सर जी के सपने सताते ही तो है वास्तव में,बहुत बढिया....

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